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बाबा सोहन सिंह भकना एक महान क्रान्तिकारी उनके जयंती पर हार्दिक नमन
16 साल की क़ैद के बाद वह 1930 में जेल से रिहा हुए और उसके बाद भी सभी आज़ादी संघर्षों में सरगर्म रहे| 1947 के बाद नेहरू सरकार ने उन्हें फिर गिरफ्तार किया और दयोली कैंप में रखा जहाँ उन की रीढ़ की हड्डी सख्त क़ैद की वजह से टेढ़ी हो गई थी| भकना इसे 'आज़ाद' भारत की ओर से उन की पीठ पर दी गई मुहर कहा करते थे|
जवानी के बेहतरीन 16 साल अंग्रेजों की जेल में बिताए थे महान गदरी सोहन सिंह भकना ने
गदर लहर के हीरो महान क्रांतिकारी बाबा सोहन सिंह भकना कि जयंती 4 जनवरी 1870 पर लाल सलाम ..
अमेरिका में मौजूद भारतीय श्रमिकों, विद्यार्थियों (जिन में सिख, हिन्दू, मुसलमान सभी थे) ने 1913 में ग़दर पार्टी बनाकर भारतीय की आज़ादी के संघर्ष में पहली धर्म-निरपेक्ष लहर को स्थापित किया था|
पंजाबी, उर्दू और अन्य भारती भाषाओँ में उन की और से ग़दर अखबार निकाला गया ताकि भारत के श्रमिकों को अंग्रेजी गुलामी और लूट के खिलाफ लामबंद किया जा सके|
बाबा सोहन सिंह भकना को लाहौर साज़िश केस में मौत की सज़ा सुनाई गयी थी जिस को बाद में आजीवन कारावास में तब्दील करके उन्हें अंडेमान जेल में भेज दिया गया था और सारी संपत्ति ज़ब्त की गई| जेल में भी वह लगातार कैदियों के साथ होते बदतर सलूक के खिलाफ हड़तालें करते रहे|
उन्होंने 1928 में जाति के आधार पर खाने के लिए कैदियों की लगाई जाती अलग-अलग पंगत के खिलाफ भी हड़ताल की और 1929 में भगत सिंह और अन्य क्रांतिकारियों के समर्थन में भी हड़ताल पर गए|
16 साल की क़ैद के बाद वह 1930 में जेल से रिहा हुए और उसके बाद भी सभी आज़ादी संघर्षों में सरगर्म रहे| 1947 के बाद नेहरू सरकार ने उन्हें फिर गिरफ्तार किया और दयोली कैंप में रखा जहाँ उन की रीढ़ की हड्डी सख्त क़ैद की वजह से टेढ़ी हो गई थी| भकना इसे ‘आज़ाद’ भारत की ओर से उन की पीठ पर दी गई मुहर कहा करते थे|
कल उनकी जयंती थी। महान इंकलाबी को लाल सलाम ! भकना जैसे इंकलाबी अमर रहेंगे।

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