हम क्या कुछ नहीं कर सकते ! 
 हमारा अतीत गौरवशाली है। 
हम महान योद्धा थे! जिन्होंने संसार की समस्त बर्बर, दुर्दांत जातियों हूण , यवन , तुर्क , मुगल से लड़े और अपनी सभ्यता कि रक्षा किये। 
कभी ऐसी अर्थव्यवस्था थे जिसका विश्व  GDP में हिस्सा 28% था। ऐसा गौरव अभी भी किसी को नहीं मिला। 
विश्व मे प्रथम विश्वविद्यालय तक्षशिला, नालंदा, विक्रमशिला बनाने वाले भारत कि आत्मा  हीनता से भर दी गई थी। 
हम तो कुछ कर ही नहीं सकते ! दूसरों के भरोसे जीने वाले लोग है। 
जी नहीं ! 
यह विक्रांत , मात्र युद्धपोत ही नहीं, इसका प्रमाण है कि हम जो चाहे वह कर सकते हैं। 
यह बेमिसाल उपलब्धि, भारत के सॉफ्टवेयर में प्रभुत्व के समान है। 
यह सुरक्षा का सबसे बड़ा भरोसा है, जिसे हमनें स्वयं निर्मित किया है। 
हमारी योग्यता, 
परिश्रम, 
विश्वास, 
गौरव का प्रतीक है ! विक्रांत। 
महासागर को चीरता हुआ जब चलेगा तो सुमद्र वैसे ही स्वागत करेगा जैसे मर्यादापुरुषोत्तम भगवान श्री राम किया था। 
मैं पुनि उर धरि प्रभु प्रभुताई 
करिहउँ बल अनुमान सहाई।