*एक व्यक्ति ईश्वर के घर गया और दरवाजा खटखटाने लगा । ईश्वर ने पूछा, कौन है ? व्यक्ति ने उत्तर दिया - " मैं आया हूं ।" उस व्यक्ति के लिए दरवाजा नहीं खुला । वह व्यक्ति ईश्वर के दर्शन पाए बिना लौट आया*।
*उसने इस बात पर विचार किया कि आखिर ईश्वर ने क्यों उसे दर्शन नहीं दिए और उत्तर जानने के लिए प्रार्थना की । आखिरकार एक क्षण उसे ज्ञान की प्राप्ति हुई और उसे समझ आया कि उससे चूक कहां हुई । वह फ़िर ईश्वर के द्वार आया और दरवाजा खटखटाया । इस बार जब ईश्वर ने पूछा , " कौन है?" व्यक्ति ने उत्तर दिया - " दरवाजे पर आपका ही स्वरुप है* ।
*दरवाजा खुल गया और व्यक्ति को ईश्वर से साक्षात का अवसर मिला । यह कथा यही बताती है कि जब हम अहम को छोड देते हैं तो हमारी ग्राह्यता बढ जाती है । हमें अधिक खुले मन से लोग स्वीकार करने लगते हैं* । " सुप्रभात जी "