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बहुत सी बातें जो हम भूल जाना चाहते हैं वह अक्सर यूँही बैठे बैठे याद आ जाती हैं तो मन कसैला सा हो जाता है।
कोई फर्क नहीं पड़ता कि कुछ समय के बाद वह बातें बदल गईं या उनका अस्तित्व खो गया...पर उनके दंश यदाकदा चुभते ही हैं। आज एक जगह कुछ पढ़ा तो यह फिर याद आ गया।
मेरी एक परिचित को नई शादी के कुछ ही समय के बाद बिन किसी से पूछे किचन से भुट्टा लेकर खा लेने पर ननद ने सबके सामने जोरो से थप्पड़ लगाया था। अचानक पड़े थप्पड़ और अपमान से जब उसकी आँखें डबडबा गई, और सास ससुर ने यह देखा कि कहीं बात न बिगड़ जाए तो वो जोरो से हँसने लगे, और उस बात को मजाक में मोड़ दिया, कहने लगे यह पहले भाई को नहीं छोड़ती थी अब देखो भाभी से बराबरी कर रही है।
समय बीत गया पर उन्हें आज भी जब यह बात याद आती है तो उनके गालों पर वो थप्पड़ आज भी वैसा ही दर्द देता हैं।
एक फ्रेंड ने अपने पति की दोस्त से कोई बात की, उस दोस्त ने गुस्से में उसे a**h*** कहा, पति ने उस दोस्त की बात को जस्टिफाई किया यह कहकर कि वह तो ऐसे ही प्यार से पागल कह रही थी। मुझसे जब उसने यह बात शेयर की तब उसके चेहरे पर अपमान से ज्यादा पति का साथ न देने का दुःख दिखा। जो इतने सालों बाद भी वह भूल नहीं पाती।
मेरी एक परिचित को तो प्रेगनेंसी में सडनली ब्लीडिंग शुरू होने पर डॉक्टर के यहाँ जाने देने पर उसे पहले तो बहाना बोलकर मना किया, और जब बाद में उसने बहुत फोर्स किया कि उसे जाना ही पड़ेगा तो पहले उसे 'चैक' करवाना पड़ा कि वह सच कह रही है। तब ही उस हॉस्पिटल जाकर 'पड़े रहने की छूट' दी गई।
अब सालों बाद जब उन्ही लोगों को उनके पोते पोतियों पर हक जमाते देखती हूँ, तो परिचित का वह चेहरा याद आता है, जब उसने हॉस्पिटल पहुंचकर डॉक्टर के पैर पकड़ कर बच्चे को बचाने की गुहार लगाई थी।
ऐसी अनगिनत बातें हैं जो हर कोई भूलना चाहता है, पर भूल नहीं पाता। कहते हैं समय हर घाव भर देता है, पर ऐसा नहीं है...समय बस हमे उस घाव के साथ जीने की आदत दे देता है।
बाकी तो...