Ram Ram ji(((( लोग दु:खी क्यों है ? )))) 
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एक पण्डित जी कई वर्षो से काशी में शास्त्रों और वेदों का अध्ययन कर रहे थे। उन्हें सभी वेदों का ज्ञान हो गया था।  
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पण्डित जी को लगा कि अब वह अपने गाँव के सबसे ज्ञानी व्यक्ति कहलायेगे। उनके अन्दर घमण्ड आ गया था। 
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अगले दिन पण्डित जी अपने गाँव जाने लगे।  
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गाँव में आते ही एक किसान ने उनसे पूछा–‛क्या आप हमें बता सकते है, कि हमारे समाज में लोग दु:खी क्यों है ?’ 
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पण्डित जी ने कहा–‛लोगों के पास जीने के लिए पर्याप्त साधन नहीं हैं। अपनी जरुरत पूरी करने के लिए धन नहीं है, इसलिए लोग दु:खी है।’ 
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किसान ने कहा–‛परन्तु पण्डित जी जिन लोगो के पास धन दौलत है, वह लोग भी दु:खी है।  
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मेरे पास धन सम्पत्ति है फिर भी मैं दुखी हूँ क्यों ?’ 
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पण्डित जी को कुछ समझ नहीं आया कि वह किसान को क्या उत्तर दें।  
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किसान ने कहा–‛वह आपको अपनी सारी सम्पत्ति दान कर देगा अगर आप उस के दुःख का कारण पता करके उसे बता दें तो।’ 
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पण्डित जी ने उसकी सम्पत्ति के लालच में कहा–‛ठीक है मैं कुछ दिनों में ही आपके दुःख का कारण ढूंढ लाऊँगा।’ 
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यह कहकर पण्डित जी पुनः काशी चले गए। उन्होंने शास्त्रों और वेदों का फिर से अध्ययन किया, परन्तु उन्हें किसान के सवाल का जवाव नहीं मिला।  
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पण्डित जी बहुत परेशान थे। वह सोच रहे थे कि अगर मैं किसान के सवाल का उत्तर नहीं दे पाया तो, लाखो की सम्पत्ति हाथ से चली जाएगी। 
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उनकी मुलाकात एक औरत से हुई, जो रोड पर भीख माँग कर अपना गुजारा करती थी।  
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उसने पण्डित जी से उनके दुःख का कारण पूछा। पण्डित जी ने उसे सब कुछ बता दिया। 
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उस औरत ने कहा कि, वह उनको उनके सवाल का उत्तर देगी, परन्तु उसके लिए उन्हें उसके साथ कुछ दिन रहना पड़ेगा। 
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पण्डित जी कुछ देर चुप रहे वह सोच रहे थे कि, वह एक ब्राह्मण हैं, इसके साथ कैसे रह सकते हैं।  
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अगर वह इसके साथ रहे तो उनको धर्म नष्ट हो जायेगा।  
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पण्डित जी ने फिर सोचा कुछ दिनों की बात है, उन्हें किसान के सवाल का उत्तर जब मिल जायेगा वह चले जायेंगे, और किसान की सम्पत्ति के मालिक बन जायेंगे। 
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पण्डित जी उसके साथ रहने के लिए तैयार हो गए। कुछ दिन तक वह उसके साथ रहे पर सवाल का उत्तर उस औरत ने नहीं दिया।  
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पण्डित जी ने उससे कहा–‛मेरे सवाल का उत्तर कब मिलेगा।’ 
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औरत बोली–‛आपको मेरे हाथ का खाना खाना होगा।’ पण्डित जी मान गए।  
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जो किसी के हाथ का पानी भी नहीं पीते थे, वह उस गन्दी औरत के हाथ का बना खाना खा रहे थे। उनके सवाल का उत्तर अब भी नहीं मिला। 
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अब औरत ने बोला उन्हें भी उनके साथ सड़क पर खड़े होकर भीख मांगनी पड़ेगी।  
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पण्डित जी को किसान के सवाल का उत्तर पता करना था, इसलिए वह उसके साथ भीख मांगने के लिए भी तैयार हो गए।  
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उसके साथ भीख मांगने पर भी उसे अभी तक सवाल का उत्तर नहीं मिला था। 
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एक दिन औरत ने पण्डित जी से कहा कि उन्हें आज उसका झूठा भोजन खाना है।  
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यह सुनकर पण्डित जी को गुस्सा आया, और वह उसपर चिल्लाये और बोले–‛तुम मुझे मेरे सवाल का उत्तर दे सकती हो तो बताओ।’ 
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वह औरत मुस्कुराई और बोली–‛पण्डित जी यह तो आपके सवाल का उत्तर है।  
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यहाँ आने से पहले आप किसी के हाथ का पानी भी नहीं पीते थे।  
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मेरे जैसी औरतों को तो आप देखना भी पसन्द नहीं करते थे, परन्तु किसान की सम्पत्ति के लालच में आप मेरे साथ रहने के लिए भी तैयार हो गए। 
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"पण्डित जी इंसान का लालच और उसकी बढ़ती हुई इच्छाएँ ही उसके दुःख का कारण हैं।" 
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जो उसे वह सब कुछ करने पर मजबूर कर देती हैं, जो उसने कभी करने के लिए सोचा भी नहीं होता।’ 
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 ((((((( जय श्री राम 🙏🌹🚩