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1857 की क्रांति को भारत के पहले स्वतंत्रता संग्राम के रूप में जाना जाता है. इतिहास में ये क्रांति इसी नाम से दर्ज है. भारतीय इतिहास में ऐसे कई राजा और सम्राट हुए हैं जिन्होंने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान विदेशी ताकतों को यहां की मिट्टी पर आसानी से पांव नहीं जमाने दिए. भारतीय इतिहास में राजा-रजवाड़ों, सम्राटों पर कई कहानियां प्रचलित हैं. लेकिन रानियों पर कम ही बात होती है. अगर होती भी है तो नाम मात्र.
जबकि सच तो ये है कि भारत भूमि पर अनेक वीरांगनाओं ने जन्म लिया और इसकी रक्षा के लिए हसंते-हंसते अपने प्राणों की आहुति दे दी. रानी वेलू नचियार (Rani Velu Nachiyar) ऐसी ही एक वीर रानी थीं. जिनके बारे में कहा जाता है कि उन्होंने रानी लक्ष्मीबाई से बहुत पहले अंग्रेज़ों के छक्के छुड़ाए थे.
कौन थी रानी वेलू नचियार?
शिवगंगा पर अंग्रेज़ों का आक्रमण
मैसूर के हैदर अली से मुलाकात
नवाब के कहने पर शिवगंगा लौटीं
अंग्रेज़ों के खिलाफ छेड़ दिया युद्ध
अंग्रेज़ों को बहादुरी से मार भगाया
कौन थी रानी वेलू नचियार?
रानी वेलू नचियार तमिलनाडु के शिवगंगई क्षेत्र की धरती पर जन्मीं और अंग्रेज़ों से युद्ध में जीतने वाली पहली रानी थी. उन्होंने झांसी की रानी लक्ष्मीबाई से काफ़ी पहले अंग्रेज़ों से लोहा लिया और उनको नाको चने चबवा दिए. तमिल उन्हें वीरमंगाई (बहादुर महिला) कहकर बुलाते हैं. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, 3 जनवरी, 1730 को उनका जन्म रामनाड साम्राज्य के राजा चेल्लमुत्थू विजयरागुनाथ सेथुपति (Chellamuthu Vijayaragunatha Sethupathy) और रानी स्कंधीमुत्थल (Sakandhimuthal) के घर उनका जन्म हुआ.
रानी वेलू को किसी राजकुमार की तरह ही युद्ध कलाओं, घुड़सवारी, तीरंदाज़ी और विभिन्न प्रकार के अस्त्र-शस्त्रों का प्रशिक्षण दिया गया. इसके अलावा उन्हें अंग्रेज़ी, फ़्रेंच और उर्दू जैसी कई भाषाएं भी सिखाई गईं. 1746 में, जब वेलू नचियार 16 साल की हुईं तब उनका विवाह शिवगंगा राजा Muthuvaduganathaperiya Udaiyathevar के साथ कर दिया गया. दोनों की एक पुत्री हुई, जिसका नाम वेल्लाची रखा गया. लगभग 2 दशकों तक शांति से राज करने के बाद अंग्रेज़ों की नज़र इस राज्य पर पड़ी.
शिवगंगा पर अंग्रेज़ों का आक्रमन
1772 में ईस्ट इंडिया कंपनी की अंग्रेज़ सेना और अरकोट के नवाब की सेनाओं ने मिलकर शिवगंगई पर आक्रमण किया. कलैयार कोली युद्ध नाम से इस युद्ध में वेलू नचियार के पति और कई अन्य सैनिक मारे गए. ये उस समय के सबसे विध्वंसक युद्धों में से एक थे. अंग्रेज़ी सेना ने किसी को नहीं बख़्शा, बच्चे, बूढ़े और महिलाएं सभी को मौत के घाट उतार दिया गया. वेलू नचियार और उनकी पुत्री सकुशल बच निकलने में क़ामयाब हुईं.

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