भगवान श्री राम के जीवन में जो दो कठिन समय आएं 
उसमें हनुमान भगवान ही उनका बेड़ा पार लगाएं। 
 
जब लक्ष्मण जी मुर्छावस्था में थे और उनके जीवन को 
बचाने के लिए संजीवनी लानी थी तब ये काम हमारे वीर बजरंगबली को सौंपा गया और कहा गया कि सूर्योदय से पहले आपको संजीवनी लेकर आना है। 
 
वो शीघ्र निकल गए पर उन्हें ये आभाष हुआ कि समय काफी कम है और शायद मैं सूर्योदय से पूर्व संजीवनी नहीं ला पाऊं तब उन्होंने सूर्य भगवान से आग्रह किया की थोड़ा विलम्ब से आप निकले, और उस आग्रह के अंत मे जो चेतावनी दी उन्होंने सूर्य को वो सिर्फ पवनपुत्र ही कर सकते हैं। 
 
पढिये क्या कहें हनुमान जी सूर्य से- 
 
हे सूरज इतना याद रहे , संकट एक सूरज वंश पे है, 
लंका के नीच राहु द्वारा आघात दिनेश अंश पर है। 
 
इसलिए छिपे रहना भगवन जब तक न जड़ी पंहुचा दूँ मै, 
बस तभी प्रकट होना दिनकर जब संकट निशा मिटा दूँ मै। 
 
मेरे आने से पहले यदि किरणों का चमत्कार होगा , 
तो सूर्यवंश में निश्चित ही अंधकार होगा। 
 
आशा है, उम्मीद है। 
स्वल्प प्राथना यह, सच्चे दिल से स्वीकरोगे, 
आतुर की करुणार्थ अवस्था को सच्चे दिल से स्वीकरोगे। 
 
अन्यथा क्षमा करना दिनकर अंजनी तनय से पाला है, 
बचपन से जान रहे हो तुम, हनुमत कितना मतवाला है। 
 
मुख में तुमको धर रखने का फिर वही क्रूर साधन होगा, 
बंदी मोचन तब होगा जब लक्ष्मण का दुख मोचन होगा। 
 
हम सभी को हनुमान जन्मोत्सव की शुभकामनाएं