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।।तुलसी जयंती महोत्सव।।
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सभी मानस प्रेमी सज्जनों एवम् मानस कविता के कविकुल हंस श्रीराम मुख चन्द्रमा चकोर मानस मंदिर के कुशल शिल्पकार परम अर्चनीय वन्दनीय अभिनंदनीय प्रात.स्मरणीय महनीय रमणीय कमनीय संत पूज्य पाद गोष्वामी तुलसीदास जी महाराज के जन्म महोत्सव पर बहुत बहुत बधाई स्वीकार हो ।हे महापुरुष इस घनघोर कलिकाल में प्रगट होकर अगर आपने संबल न दिया होता तो हम जैसे लाखों दीन हीन समाज मे तिरस्कार का जीवन बिताते हुए गलीगली घूमने को विवश रहते बाबा तुम्हारा मानस ही माता पिता और तो क्या कहूं भगवान राम ही बन कर मिल गया।क्या दो रोटी कपड़ा के लिए नाना प्रकार के ताने बाने बुनने वाले के लिए आपने कल्पवृक्ष नहीं दे दिया ?और तो अथिक क्या कहूं आपके द्वारा ।।
भारत को फिर से धनुधारी राम मिल गये।।
रामायण से चार पदार्थ ललाम मिल गये।।
खुला धर्म का द्वार युगों की विपदा भागी।।
कल्पवृक्ष दे गया जगत को एक विरागी।।
तुलसी की महिमा कलि का प्राणी क्या गाये।।
जुगुनू कैसे भला भानु को दीप दिखाये।।
अस्तु शब्द की शक्ति शिथिल है नाथ हमारी ।।
धन्यवाद कैसे दूं सीमित मति बेचारी।।
अपने उर के भाल तुम्हें अर्पण करता हूं।।
सागर को देने हित जल अंजुलि भरता हूं।।
शब्द तुमँहारे ही तुमको करता हूं अर्पण।।
*श्री राम जय राम जय जय राम*

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