आप सोचते होंगे कि फौजी को घर तक आने के लिए वारंट दिया जाता है या एयर फैसेलिटी लेकिन जब उसे अचानक छुट्टी निकलना है या 10-20 दिन पहले भी अपनी योजना बना भी ले तो जिस रेलवे में 120 दिन में भी वेटिंग टिकट मिलता है वहां भला 20 दिन पहले कन्फर्म टिकट..कैसे मिल सकता है ? एक फौजी घर से हजारों किलोमीटर दूर, 2 से 4 दिन का सफर बिना कन्फर्म टिकट के, लोगों को रात में चैन की नींद सोते देख मन ही मन विचलित सा हो जाता है, रेलवे का सड़ा हुआ खाना और उसे झकझोर देता है।
कभी कभी तो उसे टिकट चेकर से भी शर्मिंदगी झेलनी पड़ती है क्योंकि लोग....जिस प्रकार फौज के लिए शब्द प्रयोग करते हैं या उसका नाजायज फायदा उठाने के लिए गुणगान करते हैं वैसे होते नहीं है। फौजी दिल और दिमाग से इतना भोला होता है कि सामने वाले की दिखावटी हमदर्दी पर विश्वास कर लेता है और वहां भी उसे धोखा ही मिलता है, राजनीतिक पार्टियां भी खूब मजे लेती है।Anish भी अपने अभी तक कि 8 साल के नौकरी में ऐसे बहुत सी यात्राएं की जिसमें अचानक छुट्टी आते समय वेटिंग टिकट, वर्तमान भारतीय रेलवे की खचा-खच भरी रेलगाड़ियां जिनमें पेर रखने की जगह नहीं वहां कैसे बीततीं है फूस की वो रातें।भारत सरकार से मेरा आग्रह है कि लम्बी दूरी की सभी ट्रेनों में भारतीय सैनिकों के लिए कम से कम एक बोगी रिजर्व रखा जाएं, ताकि किसी फौजी भाई को इस तरह से प्रताड़ित न होना पड़े।
