बर्तन से पूरी तरह पोंछ कर खाना खाने वाले एक युवक के दोस्त उसका रोज मज़ाक उड़ाते थे।
एक ने उस युवक से पूछा - "तुम रोजाना बर्तन में एक कण भी क्यों नहीं छोड़ते?
बालक बोला इसके 3 कारण है।
1. यह मेरे पिता के प्रति आदर है, जो इस भोजन को मेहनत से कमाए रूपयों से खरीद कर लाते हैं ।
2. ये मेरी माँ के प्रति आदर है जो सुबह जल्दी उठकर बड़े चाव से इसे पकाती हैं।
3. यह आदर मेरे देश के उन किसानो के प्रति है, जो खेतो में भूखे रहकर कड़ी मेहनत से इसे पैदा करते हैं।
इसलिए थाली में झूठा छोड़ना अपनी शान न समझे।
जितना आप अन्न बर्बाद करते हैं कई लोगों का पेट भर सकता है।
उतना ही ले थाली में, जो व्यर्थ न जाए नाली में