इन्दिरा गांधी को आयरन लेडी समझने वाले ध्यान से पढ़ें ये नाम...
विंग कमांडर हरसरण सिंह डंडोस
स्क्वाड्रन लीडर मोहिंदर कुमार जैन
स्क्वाड्रन लीडर जे एम मिस्त्री
स्क्वाड्रन लीडर जे डी कुमार
स्क्वाड्रन लीडर देव प्रशाद चटर्जी
फ्लाइट लेफ्टिनेंट सुधीर गोस्वामी
फ्लाइट लेफ्टिनेंट वी वी तांबे
फ्लाइट लेफ्टिनेंट नागास्वामी शंकर
फ्लाइट लेफ्टिनेंट राम एम आडवाणी
फ्लाइट लेफ्टिनेंट मनोहर पुरोहित
फ्लाइट लेफ्टिनेंट तन्मय सिंह डंडोस
फ्लाइट लेफ्टिनेंट बाबुल गुहा
फ्लाइट लेफ्टिनेंट सुरेश चंद्र संदल
फ्लाइट लेफ्टिनेंट हरविंदर सिंह
फ्लाइट लेफ्टिनेंट एल एम सासून
फ्लाइट लेफ्टिनेंट के पी एस नंदा
फ्लाइट लेफ्टिनेंट अशोक धवले
फ्लाइट लेफ्टिनेंट श्रीकांत महाजन
फ्लाइट लेफ्टिनेंट गुरदेव सिंह राय
फ्लाइट लेफ्टिनेंट रमेश कदम
फ्लाइट लेफ्टिनेंट प्रदीप वी आप्टे
फ्लाइंग ऑफिसर कृष्ण मलकानी
फ्लाइंग ऑफिसर के पी मुरलीधरन
फ्लाइंग ऑफिसर सुधीर त्यागी
फ्लाइंग ऑफिसर तेजिंदर सेठी
ये सभी नाम अनजाने लगे होंगे...
ये भारतीय वायुसेना के वे योद्धा थे जो 1971 के युद्ध में पाकिस्तान में युद्ध बंदी बना लिए गए और कभी लौट कर वापस नहीं आए। इनकी चिट्ठियां घर वालों तक तो आई पर तत्कालीन भारत की इंदिरा सरकार ने कभी इनकी खोज खबर नहीं ली।
1972 में शिमला में तथाकथित लौह महिला इंदिरा गांधी पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो के साथ हुए शिमला समझौते में 90 हज़ार पाकिस्तानी युद्धबंदियों को छोड़ने का समझौता तो कर आई, पर इन्हें वापस मांगना याद नहीं रहा।
देश के लोगों ने भी कभी इनकी कोई खबर नहीं ली। अखबारों ने कभी इनके फोटो नहीं छापे। इन्हें मरने के लिए, सड़ने के लिए पाकिस्तानी जेलों में छोड़ दिया गया। इनके अस्तित्व को ही नकार दिया गया।
यह पोस्ट नेहरू गांधी परिवार के समर्थकों के लिए बड़ी पीड़ादायक होगी लेकिन देश के आम नागरिक की आँखे जरूर खुल जाएंगी।
