अयोध्या में प्रभु श्रीराम के बाल-स्वरूप का दर्शन करने के दिव्य अनुभव को शब्दों में बाँधना मेरे लिए संभव नहीं है। राम केवट संवाद से लेकर प्रभु श्रीराम द्वारा माता शबरी के जूठे बेर खाने जैसे मर्मस्पर्शी प्रसंग बरबस याद आ रहे हैं। मैं भाव-विह्वल हूँ। यह मंदिर भारतीय संस्कृति और समाज के आदर्शों का ऐसा जीवंत प्रतीक है जो देशवासियों को सबके हित में कार्य करने की प्रेरणा देता रहेगा। देशवासियों के कल्याण के लिए प्रभु श्रीराम से प्रार्थना करने का अवसर मुझे मिला, इसे मैं दैवी कृपा मानती हूँ। इस काल-खंड में हमारे राष्ट्र के समग्र विकास की यात्रा का साक्षी और सहभागी होना सौभाग्य की बात है।
सियावर रामचन्द्र की जय!

