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जय सियाराम सुमंगल सुप्रभात प्रणाम बन्धु मित्रों। राम राम जी।
श्रीरामचरितमानस नित्य पाठ पोस्ट ३९८, बालकाण्ड दोहा ८८, ब्रह्मा जी की शिवजी से निवेदन।
सकल सुरन्ह के हृदयॅं अस संकर परम उछाहु।
निज नयनन्हि देखा चहहिं नाथ तुम्हार बिबाहु।।
भावार्थ:- ब्रह्मा जी ने सभी देवताओं कि ओर से कहा कि - हे शंकर ! सब देवताओं के मन में ऐसा परम उत्साह है कि हे नाथ ! वे अपनी आंखों से आपका विवाह देखना चाहते हैं।
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