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जब दुनिया भर के बच्चे अपने सपनों में खोये रहते हैं, वहीं ओडिशा के कोरापुट जिले की कक्षा 8 की छात्रा हर्षिता प्रियदर्शिनी मोहंती ने एक ऐसे अद्वितीय सपने को देखा, जो केवल धरती को बचाने का था, बल्कि यह आने वाली पीढ़ियों के लिए भी एक संदेश छोड़ गया। हर्षिता को आज 'बीज गर्ल' के नाम से जाना जाता है, और यह उपनाम उन्हें उनके पर्यावरणीय योगदान के कारण मिला है।
2023 में, पद्मश्री कमला पुजारी से प्रेरित होकर हर्षिता ने देशी बीजों को इकट्ठा करना शुरू किया। उनकी मेहनत का परिणाम यह है कि आज उनके बीज बैंक में 180 से अधिक धान की दुर्लभ किस्में और 80 से ज्यादा प्रकार के बाजरे शामिल हैं, जिनमें कोरापुट कालाजीरा और तुलसी भोग जैसे अद्भुत चावल की किस्में भी हैं। हर्षिता का मानना है कि देशी बीज न केवल जलवायु के अनुकूल हैं, बल्कि वे किसानों के लिए किफायती और पोषण से भरपूर भी हैं।
हर्षिता ने अपने छोटे से गाँव से शुरू होकर 50 से अधिक किसानों को मुफ्त में बीज वितरित किए हैं और अब वह जैविक खेती के प्रचार-प्रसार में भी जुटी हैं। उनका सपना एक दिन कृषि वैज्ञानिक बनने का है ताकि वे अपने इस आंदोलन को और आगे बढ़ा सकें। हर्षिता का यह अद्वितीय प्रयास न केवल ओडिशा बल्कि पूरे देश में एक प्रेरणा बन चुका है। उनकी मेहनत और लगन यह साबित करती है कि छोटे सपने नहीं, बड़े सपने ही हमें एक दिशा और उद्देश्य देते हैं।
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