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राजेश थिरुवल्ला, केरल के एक छोटे से गांव अडूर से, बचपन में ही माता-पिता का सहारा खो चुके थे। 10 साल की उम्र में पिता ने छोड़ दिया और माँ ने दूसरी शादी कर ली। रिश्तेदारों के घर मार और ग़रीबी सहने वाले राजेश ने 15 साल की उम्र में घर छोड़ दिया।
बचपन से सेवा में रुचि रखने वाले राजेश ने मज़दूरी और छोटे-मोटे काम करते हुए देशभर में भटकने के बाद, 2013 में ‘महात्मा जनसेवा केंद्रम’ की शुरुआत की। शुरुआत में किराये के मकान से शुरू हुए इस केंद्र में आज 300 बुज़ुर्ग, 10 बच्चे और 60 स्टाफ रहते हैं।
राजेश ने अपनी पत्नी प्रीशिल्डा के साथ मिलकर बुज़ुर्गों को नया घर, सुरक्षा और सम्मान दिया। अब उनके पास 10 घर, 5 एकड़ ज़मीन और एक बड़ी रसोई है, जो प्यार और सेवा की कहानी बयाँ करती है।
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