दो शादियों की कहानी: रिहाना का नाच या लोकहित में 10,000 करोड़ रु का दान?
दस हज़ार करोड़ रुपए में अडानी परिवार भारत की अब तक की सबसे महँगी और भव्य शादी कर सकता था।
पिछली वाली बड़ी शादी से भी भव्य।
दुनिया के सबसे बड़े स्टार और डांसर को नचवा सकता था। सभी क्रिकेटर और मूवी स्टार को लाइन में खड़ा कर सकता था। दुनिया के कई नेताओं को बुला सकता था।
पर उसने सादगी से शादी की और इतना सारा रुपया लोकहित में दान कर दिया। इन पैसों का इस्तेमाल हॉस्पिटल और शिक्षा संस्थान तथा कौशल विकास में होगा।
समृद्धि अपने साथ ज़िम्मेदारी भी लाती है। कोई निभाता है, कोई नहीं।
भारत में भामाशाह की परंपरा है।
बिड़ला मंदिर बनाने की परम्परा है। डालमिया और गोयनका धर्मशाला की परंपरा है। सेकसरिया जैसे दानी उद्योगपति रहे हैं। टाटा ने कैंसर हॉस्पिटल बनाया। बजाज ने आज़ादी के आंदोलन में गांधी जी के लिए सेवाग्राम बनाया। नाडार और अज़ीम प्रेमजी बड़े दानी हैं। उनकी फ़िज़ूलख़र्ची का प्रदर्शन देश ने नहीं देखा।
परंपरा से सीखना चाहिए कि ज़िम्मेदार रईस कैसे बनें। फ़िज़ूलख़र्ची का अश्लील प्रदर्शन नहीं करना चाहिए।
महात्मा गांधी का ट्रस्टी शिप का सिद्धांत जहां तक हो सके, लागू करना चाहिए।
प्राचीन ग्रंथ हितोपदेश में कहा गया है:
विद्या ददाति विनयं, विनयाद् याति पात्रताम्।
पात्रत्वाद्धनमाप्नोति, धनाद्धर्मं ततः सुखम्॥
अर्थ:
विद्या (ज्ञान) से विनय यानी नम्रता आती है, विनय से योग्यता (पात्रता) प्राप्त होती है। योग्यता से धन मिलता है, धन से धर्म (सदाचरण) और अंततः सुख की प्राप्ति होती है।
विनय यानी विनम्रता आवश्यक गुण है।

