21 ث - ترجم

बेटी आई, खुशियां लाई,
मां ने गाई लोरी।
पिता ने सोचा-बेटा होती,
तो ना होती ये मजबूरी।

छोटी थी जब, गुड़िया खेली,
पर बाहर भेजा कम,
डर था कहीं जिंदा गुड़िया,
ना बन जाए कोई मातम।

बड़ी हुई तो सीख मिली,
संभल के चलना राहों में,
नजरें उठेंगी, फब्तियां कसेंगी,
रहना बस तू आहों में।

शिक्षा पाई, उड़ने निकली,
पर कतर दिए गए पंख,
घर संभालो, लोक लाज रखो,
क्या करोगी पढ़-लिख कर?

सपने बुने, आगे बढ़ी,
तो भेड़िए आ गए राहों में,
इंसाफ मांगो तो कहते हैं,
कसूर था कुछ निगाहों में।
#स्नेहा_को_न्याय_दो

image