🌹 श्री सुंदरकांड 🌹।               (पोस्ट नं २४) 
तृन धरि ओट कहति बैदेही। 
सुमिरि अवधपति परम सनेही।।🌻 
सुनु दसमुख खद्योत प्रकासा। 
कबहुँ कि नलिनी करइ बिकासा।।🌷 
अस मन समुझु कहति जानकी। 
खल सुधि नहिं रघुबीर बान की।।🪷 
सठ सूने हरि आनेहि मोहि। 
अधम निलज्ज लाज नहिं तोही।।🌼 
🌸 दोहा ९ 🌸 
आपुहि सुनि खद्योत सम रामहि भानु समान। 
परुष बचन सुनि काढ़ि असि बोला अति खिसिआन।। 
ॐ हं हनुमते नमः 🙏🚩🌹🙌 
🍁🪴 शुभ प्रभात 🪴