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पाकिस्तान की नापाक जमीन के सच को देखिए साथियों !
20 जून 720 की तिथि याद कीजिए।
अपने पूर्वज दाहिर की दोनों बेटियों के मर्दित आत्मसम्मान को याद कीजिए,
बहिन रिंकल कुमारी के साथ 24 फरवरी 2012 में हुए बलात्कार, अपमान को याद कीजिए ---
हम सबका सिंध प्रान्त इन घटनाओं का साक्षी रहा है।
अब सिंध के अपमान और हतभाग्य को ठीक करने की घड़ी आई है।
【सूर्या देवी और परिमला देवी】के दुर्भाग्यपूर्ण जीवन (712 ईस्वी) की कहानी जिस सिंध प्रान्त से आरम्भ हुई थी बर्बर म्लेच्छों के इस्लामिक अत्याचार और बलात धर्मांतरण के द्वारा 1300 बरस पहले, वह अबाध गति से चलती रही और 24 फरवरी 2012 में सिन्ध प्रांत के घोटकी जिले की मीरनपुर मथेलो कस्बे की हिन्दू युवती 【रिंकल कुमारी】के हृदयविदारक जीवन वंचना के साथ आज तक ज्यों की त्यों जारी है।
रिंकल कुमारी कौन हैं सिंध प्रान्त के भीतर ?
एक हिन्दू युवती जिसके पिता नन्दलाल सरकारी टीचर रहे हैं और जिसे 24 फरवरी 2012 की सुबह भरचुंडी दरगाह के पीर, सूफी राजनीतिक नेता मियां मिठू जो पाकिस्तान पीपल्स पार्टी से मेम्बर ऑफ नेशनल असेंबली का सदस्य है, के द्वारा नावेद शाह नामक युवक के हाथों जबरन उठवा लिया गया तथा बलात धर्मांतरण कराते हुए इस्लाम धर्म कुबूल करवाया गया।
18 अप्रैल 2012 में सुप्रीम कोर्ट पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश सहित तीन जजों की पीठ द्वारा मानवाधिकार और न्यायिक मूल्यों को ताक पर रखकर रिंकल कुमारी को दरिन्दो के हाथों सौंप दिया गया था। नावेद शाह से उसका बलात निकाह कराया गया तथा बाद में सेक्स स्लेव्स बना दिया गया।
सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश इफ्तिखार मुहम्मद चौधरी तथा दो अन्य जज ---- न्यायमूर्ति खिलजी आरिफ हुसैन व न्यायमूर्ति तारिक परवेज के सम्मुख रिंकल कुमारी ने इस बहशी अमानवीय फैसले को सुनकर कातर स्वर में अपनी माँ के लिए जो अंतिम सन्देश छोड़ा, वह अपने परवशता बोध की उपस्थिति के साथ सम्पूर्ण मनुष्यता को शर्मसार कर देने वाला है :
【'माँ मुझे छोड़ दो और भाई इंदर तथा पिताजी के साथ भारतभूमि चली जाओ ताकि मैं आराम से अपने जीवन का अन्त कर सकूँ। मियाँ मिठू ने मुझसे कहा है कि अगर आपके रिश्तेदार आपको घोटकी डिस्ट्रिक्ट कोर्ट, शेल्टर हाउस और सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट से नहीं बचा पाये तो क्या आपको लगता है कि वे आपको कभी मुक्त कर सकेंगे ?'】
◆◆ कितना ग्लानि और बेशर्मी का विषय है कि इस प्रकरण पर अमेरिकी कांग्रेस के सदस्य सुनील दीक्षित के द्वारा पाकिस्तानी प्रधानमंत्री को पत्र लिखा गया और भारत सरकार को बड़ी गम्भीरता के साथ आगाह किया गया लेकिन निर्लज्ज UPA सरकार ने हिन्दू अल्पसंख्यक के इस भयावह अति संवेदनशील प्रश्न पर पूरी चुप्पी साध ली।
सोचिए ----
कैसी सरकार और किसकी सरकार यह रही होगी ??
पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग ने खुद स्वीकार किया है कि पाकिस्तान में प्रत्येक वर्ष कम से कम 1000 हिन्दू, सिक्ख, ईसाई, अहमदिया लड़कियों का बलात अपहरण व धर्मांतरण कराते हुए उन्हें इस्लाम धर्म में प्रविष्ट कराया जाता है।
इतिहास इन बर्बरों का कभी नहीं बदला है....
सेकुलर, लिबरल दुरात्माएँ क्या समझेंगी इस आत्मसम्मान से वंचित पीड़ा को।
यह क्रूर इतिहास का बर्बर ऋजुरेखीय यात्रा निकष है एक मतांध कौम के हाथों ----
आप इस निर्मम सच्चाई को रुककर देखने की हिम्मत जुटाइए।
Shiv Kumar