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भिंड से भास्कर की लाजवाब न्यूज ✅🫡
कलेक्टर को सैल्यूट 🫡 साधुवाद ♥️♥️
कक्षा 2 के बच्चे की किताबों पर 2130 रुपए: मजदूर की आवाज़ और डीएम का न्यायपूर्ण फैसला 👏📚
आज जब शिक्षा को मौलिक अधिकार घोषित किया गया है, तब भी कई बार ज़मीनी हकीकत इससे बिलकुल उलट दिखाई देती है। ऐसा ही एक मामला हाल ही में सामने आया, जिसने हर संवेदनशील दिल को झकझोर कर रख दिया।
एक गरीब मजदूर अपने छोटे से बेटे के लिए किताबें खरीदकर जिला कलेक्टर के पास पहुंचा। बच्चा अभी कक्षा 2 में पढ़ता है और स्कूल की तरफ से उसकी पढ़ाई के लिए किताबें सुझाई गई थीं। मजदूर ने बताया कि उसने अपने खून-पसीने की कमाई से 2130 रुपए में ये किताबें खरीदी हैं। इतना पैसा एक दिन या एक हफ्ते की कमाई नहीं, बल्कि कई दिनों की मेहनत का निचोड़ है।
मजदूर की आंखों में बेबसी थी, लेकिन दिल में अपने बच्चे को पढ़ाने की चाहत। वह सिर्फ ये पूछने आया था कि क्या वाकई कक्षा 2 के लिए इतनी महंगी किताबें ज़रूरी हैं?
कलेक्टर ने मजदूर की बात गंभीरता से सुनी और तुरंत कार्रवाई करते हुए स्कूल की मान्यता सस्पेंड करने का आदेश दिया। 👏👏✅🫡
उनका कहना था कि शिक्षा को व्यापार का साधन नहीं बनने दिया जा सकता। इस फैसले ने यह साबित कर दिया कि अभी भी ऐसे अफसर हैं जो आम आदमी की आवाज़ सुनते हैं और उस पर तुरंत न्यायसंगत कदम उठाते हैं।
एक डीएम जिसने दिल जीत लिया🥰🥰
इस फैसले के पीछे सिर्फ कानून नहीं, बल्कि एक संवेदनशील सोच और इंसानियत थी। डीएम ने सिर्फ एक स्कूल की मान्यता रद्द नहीं की, बल्कि पूरे सिस्टम को एक सख्त संदेश दिया कि शिक्षा का व्यवसायीकरण अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
डीएम साहब की सराहनीय कदम की असलियत में सराहना करते हैं ♥️ 👏
जय हिन्द जय भारत 🇮🇳❤️🫡

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