#बधियाकरण_से_बचो ।।
पता है सांड को बैल क्यूँ बनाया जाता है ?
कितना भी बलिष्ठ बैल हो वह एक दुर्बल से दुर्बल सांड से भी लड़ने का दुस्साहस कभी नहीं करता क्योंकि बैल में मर्दानगी शून्य होती है।
गाय का जो बछड़ा होता है वो आगे चलकर सांड (Bull) बनता है। सांड को अपनी शक्ति का अनुमान होता है।
वैसे तो सामान्यतः सांड शांत होता है किंतु चिढ़ने पर भयंकर हो जाता है। सांड सरलता से वश में भी नहीं होता और इसी कारण उसके द्वारा हल से खेत नहीं जोता जा सकता।
उसे काटना भी आसान नहीं, हिंसक प्रतिकार करता है किंतु उसको बधिया कर बैल बनाया जाता है तो वो नपुंसक हो जाता है। सामर्थ्य तो रहता है किंतु सरलता से वश में आ जाता है। हल गाड़ी, माल ढोने, कोल्हू से तेल निकालने आदि कई काम में आता है। कहावत भी है - कोल्हू का बैल, सुना ही होगा आपने किंतु कोल्हू का सांड सुना है कभी ?
इसी तरह एक समाज को सांड से बैल में परिवर्तित का सब से उचित तरीका है कि उसको बदनाम करते रहो।
उस की सहनशीलता के मापदंड आप बनाओ और अपनी इच्छानुसार उन्हें बदलते रहो। बदनामी की इतनी मार मारो कि आपको देखते ही वो गर्दन झुकाकर स्वयं ही जुआ रखवाना स्वीकार कर ले।
सांड को बैल वही बनाते हैं, जो उसे जब तक चाहें जोतते हैं और उसकी मेहनत का स्वयं खाते हैं और अंत में उसे भी काटकर अपना हित साधते हैं।
हे हिन्दुओं! अब कोल्हू का बैल बनना बंद करो।
सामर्थ्यवान बनो। वीर बनो। योद्धा की भाँति जीना सीखो।💪
हर हर महादेव 👏🥰❤️❣️
