हर साल गणेश चतुर्थी के अवसर पर देश भर में गणपति बप्पा का जयघोष गूंजता है। लेकिन 2025 में यह पर्व सिर्फ एक धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि ईको-फ्रेंडली मूर्तियों, सस्टेनेबल डिवाइन आर्ट, और इको स्पिरिचुअलिटी का प्रतीक बन गया है। जैसे-जैसे त्योहार नजदीक आ रहा है, अहमदाबाद, नागपुर, मुंबई समेत कई शहरों में इनोवेशन और इन्वायरनमेंट कंससनेस की गूंज सुनाई देने लगी है।इस बार की गणेश चतुर्थी में सवाल यह नहीं है कि मूर्तियाँ कितनी सुंदर हैं, बल्कि यह है कि वे पर्यावरण के प्रति कितनी जिम्मेदार हैं।
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