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चेन्नई में ग्रेटर चेन्नई नगर निगम के सैकड़ों सफ़ाई कर्मचारियों को आधी रात को पुलिस द्वारा जबरन हटाकर हिरासत में लेना लोकतंत्र और मज़दूर अधिकारों पर सीधा हमला है।

ठोस अपशिष्ट प्रबंधन कार्यों के निजीकरण के ख़िलाफ़ 13 दिनों से चल रहे उनके शांतिपूर्ण आंदोलन को बलपूर्वक ख़त्म करना यह साबित करता है कि सरकार कॉरपोरेट के पक्ष में और मज़दूरों के हक़ के ख़िलाफ़ खड़ी है।

पुलिस कार्रवाई में घायल और बेहोश हुई महिला कर्मचारियों की स्थिति चिंताजनक है।

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