ज़ोया थॉमस लोबो भारत की पहली ट्रांसजेंडर फोटोजर्नलिस्ट हैं, जिनकी यात्रा संघर्षों से भरी हुई है। उन्होंने लगभग एक दशक तक ट्रेनों और सड़कों पर भीख मांगी, ताकि एक पुराना कैमरा खरीद सकें। कैमरा खरीदने के बाद, ज़ोया ने फोटोग्राफी की दुनिया में कदम रखा और दिलचस्प तस्वीरें लेकर अपनी पहचान बनाई। उनकी तस्वीरों ने कई सामाजिक मुद्दों को उजागर किया और उन्हें राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता दिलाई।
उनका फोटोजर्नलिज्म का सफर कई चुनौतियों से गुजरते हुए भी जारी रहा। ज़ोया ने कोविड-19 महामारी, प्रवासी मजदूरों के संघर्ष, और ट्रांसजेंडर समुदाय की कहानियां कैमरे में कैद कीं। कठिन समय में भी उन्होंने हार नहीं मानी और अपनी मेहनत से हजारों लोगों को प्रेरित किया है।
ज़ोया की कहानी यह दिखाती है कि जुनून और मेहनत से किसी भी हालात में सफलता हासिल की जा सकती है। वे न सिर्फ फोटोजर्नलिज्म की दुनिया में एक मिसाल हैं, बल्कि ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए भी एक प्रेरणा स्रोत हैं।