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उबाले हुए पानी से बनाई गई बर्फ की क्यूब्स काँच जैसी साफ़ और पारदर्शी बनती हैं, क्योंकि उबालने की प्रक्रिया में पानी में घुले अधिकांश गैसें निकल जाती हैं। जब पानी को गर्म किया जाता है, तो उसमें मौजूद ऑक्सीजन, नाइट्रोजन और अन्य फँसी हुई गैसें बाहर निकल जाती हैं, जिससे पानी अधिक शुद्ध और समान रूप से एकरूप हो जाता है। यही गैस-रहित (degassed) पानी जब जमता है, तो इसमें बुलबुले नहीं बनते और बर्फ चिकनी व पारदर्शी बनती है।
इसके विपरीत, नल के पानी में अभी भी घुली हुई गैसें और खनिज मौजूद होते हैं। पानी के जमने के दौरान ये गैसें बाहर नहीं निकल पातीं और बर्फ के भीतर छोटे-छोटे वायु-कुहासे (air pockets) के रूप में फँस जाती हैं। ये वायु-कुहासे प्रकाश को बिखेरते हैं, जिससे बर्फ धुंधली, सफेद या अपारदर्शी दिखाई देती है।
घुली हुई गैसों की इस साधारण-सी भिन्नता के कारण उबाले हुए पानी की बर्फ क्रिस्टल-सी साफ़ दिखती है, जबकि सामान्य नल के पानी की बर्फ अक्सर मैली या धुंधली नज़र आती है

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