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आज की भागदौड़ भरी दुनिया में, हम अक्सर मानवता और निस्वार्थ सेवा को भूल जाते हैं। लेकिन ईरान से आई एक तस्वीर ने पूरी दुनिया को फिर से इंसानियत का मतलब समझाया है। यह कहानी सिर्फ एक शिक्षक की नहीं, बल्कि एक "गुरु" के असली धर्म की है।
तस्वीर में दिख रहा यह छोटा बच्चा कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से अस्पताल में लड़ रहा है। संक्रमण के डर से उसे कांच के बंद कमरे (आइसोलेशन) में रखा गया है। आम तौर पर ऐसी स्थिति में पढ़ाई छूट जाती है, लेकिन इस बच्चे के शिक्षक ने ऐसा नहीं होने दिया।
यह शिक्षक हर दिन, बिना किसी नागा के, अस्पताल पहुँचते हैं। वे उस कांच की दीवार के बाहर ज़मीन पर बैठते हैं और फोन व टैबलेट का इस्तेमाल करके अपने छात्र को पढ़ाते हैं। वे ऐसा इसलिए करते हैं ताकि बीमारी की वजह से उनका छात्र पढ़ाई में पीछे न रह जाए। 🥺📚
भारत में हम 'गुरु-शिष्य परंपरा' को बहुत मानते हैं। यह शिक्षक उस परंपरा की एक जीती-जागती मिसाल है। यह तस्वीर साबित करती है कि शिक्षण (Teaching) सिर्फ एक नौकरी नहीं है, बल्कि यह प्रेम, दया और जिम्मेदारी का एक पवित्र बंधन है।
इस शिक्षक ने साबित कर दिया कि अगर नीयत साफ़ हो, तो कोई भी दीवार शिक्षा और प्यार को नहीं रोक सकती।

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