बाबू गेनू सैद (1 जनवरी 1908 – 12 दिसम्बर 193 भारत के स्वतंत्रता-संग्राम सेनानी एवं क्रांतिकारी थे। उन्हें भारत में स्वदेशी के लिये बलिदान होने वाला पहला व्यक्ति माना जाता है।जिन्होंने भारत में ब्रिटिश कम्पनियों की व्यापार प्रथाओं के विरुद्ध विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व किया था।
12 दिसंबर 1930 को मैनचेस्टर के जॉर्ज फ्रेज़ियर नामक कपड़ा व्यापारी फोर्ट क्षेत्र में पुरानी हनुमान गली में अपनी दुकान से विदेशी कपड़े का ट्रक मुंबई बंदरगाह ले जा रहे थे। उनके अनुरोध के अनुसार उन्हें पुलिस सुरक्षा दी गई थी। कार्यकर्ताओं ने ट्रक को आगे न बढ़ाने की विनती की, लेकिन पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को एक तरफ धकेल दिया और ट्रक को आगे बढ़ाने में कामयाब रही। कालबादेवी रोड पर भांगवाड़ी के पास, बाबू गेनू ट्रक के सामने खड़े होकर भारत माता की जय-जयकार कर रहे थे। पुलिस अधिकारी ने ड्राइवर को बाबू गेनू के ऊपर ट्रक चलाने का आदेश दिया, लेकिन ड्राइवर ने यह कहते हुए मना कर दिया: "मैं भारतीय हूँ और वह भी भारतीय है, इसलिए, हम दोनों एक दूसरे के भाई हैं, फिर मैं अपने भाई की हत्या कैसे कर सकता हूँ?"। उसके बाद, अंग्रेजी पुलिस अधिकारी ने बाबू गेनू के ऊपर ट्रक चला दिया और उसे कुचल दिया।
ट्रक उस पर होकर निकल गया और वह अचेत हो गए। उसको अस्पताल ले गये जहां उनकी मृत्यु हो गयी। ट्रक ड्राईवर और पुलिस की क्रूरता से शहीद हो गए किन्तु वह लोकप्रिय हो गए। उसका नाम भारत के घर घर में पहुंच गया और बाबू गेनू अमर रहे के नारे गूंजने लगे।
उनकी शहादत को यह देश कभी नही भूल सकता है। देश के ऐसे वीर सपूत को कोटि कोटि नमन।
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