देहरादून में इलाहाबाद बैंक के एक ATM पर तैनात बृजेंद्र सिंह कभी भारतीय सेना का हिस्सा थे। आज वे सुरक्षा गार्ड हैं, लेकिन उनका असली फर्ज़ सूरज ढलने के बाद शुरू होता है। ATM की रोशनी में वे आसपास की झुग्गियों के करीब 25 गरीब बच्चों को पढ़ाते हैं, ऐसे बच्चे जो मज़दूरी और भीख के लिए मजबूर हैं।
पिछले 16 सालों से बृजेंद्र सिंह बिना किसी प्रचार या इनाम के बच्चों को न सिर्फ अक्षरज्ञान, बल्कि अनुशासन, संस्कार और उम्मीद सिखा रहे हैं। उनका मानना है कि शिक्षा ही सबसे मजबूत हथियार है।
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