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कर्तव्य के पुनीत पथ को
हमने स्वेद से सींचा है,
कभी-कभी अपने अश्रु और -
प्राणों का अर्ध्य भी दिया है।
किंतु, अपनी ध्येय-यात्रा में -
हम कभी रुके नहीं हैं।
किसी चुनौती के सम्मुख
कभी झुके नहीं हैं।

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