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कर्नाटक में एक फैमिली कोर्ट के बाहर पत्नी ने अपने पति को झोंटिया-झोंटिया के मारी.. लोगों के भीड़ के बीच मारी। खूब थप्पड़ चमाट मारी, बाल खींच-खींच के मारी, खूब गालियां दी। और पति ये सब हंसते और मुस्कुराते हुए सहता रहा। सह नहीं रहा था बल्कि इंजॉय कर रहा था। ऐसा लग रहा था कि जैसे तुम मुझे और मारो मैं ऐसे ही मुस्कुराउंगा और खूब मुस्कुराउंगा। हर लप्पड़-झप्पड़ के बाद वो पत्नी की तरफ मुस्कुराते हुए देखता। इस तरह मार खाते हुए पति का मुस्कुराना और हंसना पत्नी को और इर्रिटेट कर देता। फ्रस्ट्रेटेड हो के और मारती और पति उतनी इंजॉय के साथ मुस्कुरा देता।

दरअसल मामला ये था कि इन दोनों का तलाक का मामला कोर्ट में चल रहा था। पत्नी एलिमोनी के रूप में 6 लाख रुपये पर मंथ माँग रही थी, जबकि ये खुद भी काफी एजुकेटेड है टेक्निकल फील्ड में।
सेटलमेंट के फाइनल जजमेंट के पहले पति ने अपनी सारी प्रोपर्टी अपनी माँ के नाम कर दिया। पति के पास कुछ भी नहीं। एकदम शून्य। तो जब पति के प्रोपर्टी और इनकम की बात हुई तो पति के नाम से कुछ भी नहीं मिला। तो कोर्ट ने एलिमोनी के रूप में "शून्य" पकड़ा दिया पत्नी जी को। कहां 6 लाख की बात थी और कहाँ शून्य मिल गया।

तो जजमेंट के बाद जैसे ही ये बाहर निकले वैसे ही पत्नी जी ने अपना सारा फ्रस्ट्रेशन पति देव के ऊपर निकालना शुरू कर दिया। पत्नी का इस तरह से फ्रस्ट्रेटेड हो के चीखना चिल्लाना मारना पतिदेव को खूब सुकून दे रहा था। वो जितनी बार मारती उतना ही इसको आनंद आता। हर बार वो एक नई और सुकून वाली मुस्कुराहट के साथ पत्नी जी के तरफ देखता। मर्द को इस तरह से खुश कोई औरत भला देख कैसे सकती है और पत्नी को इस तरह से फ्रस्ट्रेटेड देख के भला कौन पति को सुकून नहीं मिलता है।
हर लप्पड़-झप्पड़ के बाद मुस्कुराते हुए पति पत्नी की ओर देखते हुए मानो यही कहना चाहता हो कि,
"बेबी! ये कमीनगी और चालाकी हमने तुम्हीं से सीखी है.. अब गुरुदक्षिणा ले रही हो तो क्यों न हम इसे खुशी-खुशी दें।"

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