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निशा चटर्जी बाबरी मस्जिद का सपोर्ट करती थी और जब बंगाल में बाबरी नाम से मस्जिद की नींव रखी गई तब भी देश भर के विरोध के बाद भी निशा जी हुमायूं कबीर के साथ रही

इसके बाद हुमायूं कबीर को डैमेज कंट्रोल के लिए TMC ने निकाल दिया तो उसने अपनी पार्टी खड़ी कर दी और अपने उम्मीदवार के रूप में निशा चटर्जी को खड़ा कर दिया

लेकिन जैसे ही पता चला कि सीट तो मुस्लिम समुदाय के बहुल वाला है, तो फौरन निशा जी का नाम काट दिया गया और एक मुस्लिम नाम वाले को टिकट दे दी गई

अब निशा जी जो भाईचारे और सेक्युलर की जबर पैरोकार थी, उनको लग गया झटका

अब सबको कहे जा रही है कि उनका धर्म देखकर हुमायूं कबीर ने उसका टिकट काटा है

अब मुस्लिम बहुल है इसका ये मतलब तो नहीं कि हिंदू को टिकट नहीं दिया जा सकता, ये तो सेक्युलरिज्म नहीं है, अगर इनकी पार्टी सेकुलर होती तो मेरा टिकट नहीं काटते

इन सेकुलर लोगों की अक्ल तभी खुलती है जब खुद पर कुछ बीते, नहीं तो इनको सब RSS, बीजेपी का प्रोपेगैंडा ही तब तक लगता रहता है जब तक ये इन तक पहुंच नहीं जाते।

ऐसे दोगले हिंदू नेताओं से सदैव दूरी बनाकर रखें 🙏

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