आदिवासी समाज की झलक, अटल भी आए याद... राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के पहले भाषण में गरीब के सच होते सपनों की बात

नई दिल्ली: ठीक सवा 10 बजे जैसे ही देश की पहली आदिवासी राष्ट्रपति के रूप में द्रौपदी मुर्मू ने शपथ ली, संसद भवन का केंद्रीय कक्ष तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। देश की नई राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अपने सहज अंदाज में हिंदी में भाषण दिया। उनके संबोधन में आदिवासी समाज की झलक थी, तो पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का भी जिक्र था। उन्होंने कहा कि देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद पर मेरा निर्वाचन इस बात का सबूत है कि भारत का गरीब सपने देख सकता है और उसे पूरा भी कर सकता है। उन्होंने कहा कि मैंने अपनी जीवन यात्रा ओडिशा के एक छोटे से आदिवासी गांव से शुरू की थी। मैं जिस पृष्ठभूमि से आती हूं, वहां मेरे लिए प्रारंभिक शिक्षा हासिल करना भी सपने जैसा था लेकिन अनेक बाधाओं के बावजूद मेरा संकल्प दृढ़ रहा और मैं कॉलेज जाने वाली अपने गांव की पहली व्यक्ति थी। राष्ट्रपति के संबोधन के दौरान कई बार संसद का केंद्रीय कक्ष तालियों से गूंजता रहा।

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