भाव बड़े सूक्ष्म होते है।
सबसे सूक्ष्म भाव अहंकार का होता है। वह कर्मो का नियंत्रण अपने हाथ में ले लेता है।
एक छोटे से कर्म से पूरा व्यक्तित्व परिभाषित हो जाता है।
महाभारत युद्ध का निर्णय तो उसी समय हो गया था। जब दुर्योधन , अर्जुन श्रीगोविन्द से सहायता मांगने गये थे।
भगवान जगन्नाथ निद्रा में थे। अर्जुन पैरो के पास खड़ा हो गया। दुर्योधन सिर के पास जाकर बैठ गया।
अर्जुन और दुर्योधन को समझने के लिए किसी ग्रंथ को पढ़ने कि आवश्यकता नहीं है।एक छोटे से शिष्टाचार में सब कुछ दिख जाता है।
अभिमान धूर्तता करने पर विवश कर देता है।

Karan Prashuram Bhagat
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