मध्यमवर्गीय परिवेश का देशी हास्य चला गया। उनके हास्य में फूहड़ता नहीं संवेदनशीलता थी। मुझे लगता था लौटोगे ज़रूर राजू। राजू का जाना कॉमेडी का ट्रेजेडी होना है। श्रद्धांजलि।
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