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फ़ोटो से नहीं पोस्ट से समझिए कि असल में क्षत्रिय अथवा राजपूत कौन थे? खेत, खत, खाता, खतौनी, खत्तिय, क्षत्रिय सब एक ही शब्द की शाखाएं अथवा भाषाएं हैं।
ब्राह्मी लिपि, पालि भाषा, नागरी भाषा में खेत, खेतों की भूमि के स्वामी को खत्तिय कहा जाता था। वर्तमान समय में भी कृषि भूमि को खेत कहा जाता है। खेतों के मालिक को खेतवान कहा जाता है। तथागत गौतम बुद्ध कालीन समय में खेती करने वाले लोगों को खत्तिय कहा जाता था। तथागत गौतम बुद्ध को भी खत्तिय कहा गया है।
शक कुषाण पहलव पार्थियन सीथियन, ससानी, सोल्जुक और हूण जमींदार, अमीर, सामंतों को सीरिया ईराक ईरान तुर्की में क्षत्रप, शात्रप, महाक्षत्रप कहा जाता था। प्राचीन समय में भारत पर हमला कर विजित हमलावर किसान के खेत, खेती की भूमि और भूभाग पर कब्जा कर लेते थे। उन्हें क्षत्रप शात्रप महाक्षत्रप कहा जाता था।
भारत में किसी खेत, कृषि भूमि और निर्धारित क्षेत्र भूभाग के स्वामी तथा भूमि क्षेत्र की रक्षा करने वाले को क्षेत्रपाल कहा जाता है।
इतिहासकार रामशरण शर्मा ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक " प्राचीन भारत में राजनीतिक विचार एवं संस्थाएँ " पृष्ठ 81 में लिखा है कि खत्तिय उपाधि का मतलब खेतों का मालिक है। आगे लिखा है कि दूसरों के खेतों की भी रक्षा करते हैं।
महापरिनिब्बान सुत्त में लिखा है कि मोरियों ने कहा कि गोतम बुध खत्तिय थे और हम भी खत्तिय हैं। सत्यकथन- मोरिय खत्तिय थे।
सुद्धोदन खत्तिय ने कोलिय राजा को संवाद भेजा कि हम भी खत्तिय हैं और आप भी खत्तिय हैं रांगेय राघव, यशोधरा जीत गई, पृष्ठ 18
मतलब कोलिय भी खत्तिय थे।
तो क्या शाक्य गण, कोलिय गण, मोरिय गण--- सभी राजपूत थे?.....नहीं।

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