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2012 की सर्दियों में ली गईं ये तस्वीर विधानसभा भवन की है, तब पहली बार उस सफेद भवन में जानें का मौका मिला था जिसमें अगर शायद 2022 का चुनाव जीत जाता तो ऋषिकेश और उत्तराखंड में परिवर्तन की नई रेखा खींचने का प्रयास करता, आज 10 साल बाद जब ये तसवीर दिखी तो मन वहीं वापिस गया, उस समय एंबेसडर और जिप्सी गाड़ियों इनोवा से ज्यादा दिखती थी, हूटर और लाल बत्तियों पर पाबंदी नहीं थी,नेता फेसबुक नही चलाते थे, चाइनीज मोबाइल के दौर का अंतिम पढ़ाओ था और सैमसंग अपनी मार्केट एंड्रॉयड की जुगलबंदी के साथ बना रहा था, ओप्पो वीवो(Oppo VIVO) की दस्तक अभी नहीं हुई थी, पेट्रोल तब 68 में था, देहरादून में हुक्का कल्चर को लेकर नई चेतना जगी और छापेमारी शुरू हुई , बहुत पकड़े गए और बंद हुए, थोड़ी सी स्वीकारिता इंजीनियरिंग और मेडिकल से हटकर बच्चे अब Language में honors करने लगे थे,BCA, B.Arch करने में विश्वास दिखाना शुरू किया लड़कियों के लिए ANM, GNM, BSc nursing जैसे कोर्स में मां बाप बेटियो को तेजी से डालने लगे, कुमार स्वीट शॉप भी तेजी से फ्रेंचाइजी बांट रहा था (आज लगभग सभी बंद है) मलाई चाप और तंदूरी चाप तब तक उत्तराखंड का राजकीय स्नैक्स नहीं बना था, नारियल पानी के लिए धरमपुर मंडी या माजरा मंडी जाना पड़ता था (आज की तरह हर किलोमीटर में नहीं मिलता था) उत्तराखंड का बच्चा बलूनी और अकाश में कोचिंग लेना प्रतिष्ठा का सवाल मानता था इसी बीच सदन की कार्यवाही देखने मै लगभग एक बार 2012 में दो बार 2013 में गाया.. अब तो RTI की सूचना और उसके अपील के लिए जाना होता है, उसमे भी जानकारी आदि अधूरी मिलती है, इस वित्तीय वर्ष खत्म होने के बाद अप्रैल में मैं इस मामले को सुप्रीम कोर्ट लेकर जाऊंगा, आप लोग आशिर्वाद बनाए रखना।

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