3 anos - Traduzir

एक सोचता है वह हत्या कर देगा , इसे हिंसा कहते है।
दूसरा सोचता है वह हत्या नहीं करेगा, इसे अहिंसा कहते है।
एक तीसरा है, जो स्वयं कि हत्या करता है, इसे आत्महत्या कहते है।
इन तीनों उद्दरणो का मूल सिद्धांत एक ही है।
' मैं मार सकता हूँ ' ।
यह सतही भौतिकता से जुड़ी बात है।
तुम मार ही नहीं सकते ! न किसी को , न स्वयं को।
यह गहरी आध्यात्मिक बात है। गीता का यह प्रमुख सूत्र है।
जो लोग आत्महत्या करते है।
उनको मत है, दुख से छुटकारा मिल गया।
नहीं, आत्महत्या करके एक और कर्म जोड़ लिया है।
कर्मो को जोड़ने से मुक्ति नहीं है।
पुनः आना होगा, पुनर्जन्म लेना होगा। अब जीवन और भी कठिन होगा।
वैदिक धर्म ने सूक्ष्म से लेकर ब्रह्मांड तक को चक्रीय सिद्धांत से परिभाषित किया है।
ब्रह्मांड में ग्रह से लेकर जीव तक एक चक्र में घूम रहे है।
जीव का पथ उसका कर्म है।
सरलता से समझने के लिये सत्य यह है कि हत्या या आत्महत्या से जीवन समाप्त नहीं होता है।
मुझसे कोई पूछता है आत्महत्या करनी चाहिये या नहीं ?
हर कोई कहेगा नहीं।
लेकिन मैं कहता हूँ, इससे छुटकारा मिलने वाला नही है।
हर हाल में जीवन जीना पड़ेगा।
निराश, उदास , दुखी , गम्भीर होकर जीना है। या आनंद, सुख , प्रफुल्लित होकर यह आपका चुनाव है।
रोइये, तड़पिये, पीड़ित रहिये, चिंतित रहिये या आत्महत्या कर लीजिये। लेकिन जीवन जीना ही पड़ेगा।
इस जगत का व्यवस्थापक बहुत कठोर है, दयावान तो लोग मख्खन लगाने के लिये कहते। वह ढिलाई देने पर राजी नहीं होगा। बोझा बढ़ाकर फिर भेज देगा।
बात बस इतनी ही है।
जब जीना ही है तो साहस के साथ, आनंद में , प्रेमपूर्वक जीया जाय।