हम अपनी जिन श्रेष्ठताओं को सरलता से त्याग देते हैं.....विदेशी उन्हें श्रद्धा से अपना लेते हैं।
छप्पन भोग सहित विपुल व्यञ्जन समृद्ध परम्परा के देश में हमारे बहुत से मंगल प्रसंग, बासी और थूक सने 'केक' के चारों और घूमते हैं....तो अभागे कौन?
क्षमस्व।