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#मान_सिंह_कछवाहा ने केवल अफगानिस्तान ही नही जीता , वरन समूचे उत्तर भारत में व्यापारियों के लिए मार्ग प्रशस्त किया। आज भी आगरा, मथुरा से लेकर पश्चिम बंगाल में भी वह व्यापारी वर्ग आज भी निवास करता है।
यही नहीं अब पूर्ववत में अफगान और तुर्क शासकों की तरह मंदिरों में ब्राह्मणों की हत्या भी नहीं की जा रही थी, धर्म स्थल तो सुरक्षित हुए ही अपितु उसके साथ साथ बीरबल और तानसेन जैसे लोग बेखौफ अकबर के नवरत्न भी बन रहे थे।
अफगानिस्तान में पांच अफगान शासकों पर विजय के उपलक्ष्य में राजा मानसिंह ने आमेर राज्य का झंडा #पंचरंगा किया,जो उन राज्यों के ध्वज के रंग थे।
आप गूगल पर जाकर आमेर परिवार #पचरंगा ध्वज देख सकते है ।।
राजा मान सिंह की इन विजयो की प्रशंसा में अनेक कवियों ने अनेक दोहे भी रचे है, जिनमे से एक है "
मात सुनावें बालकां, ख़ौफ़नाक रणगाथ, काबुल पाड़ी नी अजे, यो खांडो यो हाथ।
शत्रुओं की पत्नियां अपने बच्चो को मानसिंह का नाम लेकर डराती थी

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