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हल्द्वानी पर दर्द और जम्मू पर चुप्पी?
जम्मू में एक इलाक़ा है RS पुरा। वह भी पूरी तरह रेलवे की ज़मीन पर बसा है। क़िस्सा रोचक है।
•1897 में वहाँ पहली रेल लाइन बनी। जम्मू से सियालकोट 43 किलोमीटर।
विभाजन हुआ तो रूट आधा भारत में आधा पाकिस्तान में चला गया।
पाकिस्तान की तरफ़ तो ट्रैक चालू रखा गया। लेकिन भारत की तरफ़ इस स्टेशन का प्रयोग ख़त्म हो गया।
पुँछ से रिफ़्यूजी आये तो आर एस पुरा में रेलवे की ज़मीन पर बस गये। तबसे आज तक बसे हुए हैं। लोगों को ज़मीन एलॉट हुई, लेकिन रेलवे का क़ब्ज़ा फिर भी नहीं छोड़ा।
रेलवे के क़रीब लगभग 40 किलोमीटर तक की ज़मीन पर 120 फुट चौड़ाई में शरणार्थियों का अवैध क़ब्ज़ा है।
लेकिन भाजपा और उसके सरकारी पत्रकार एक शब्द नहीं बोलेंगे क्योंकि वो उनका वोट बैंक हैं।
हल्द्वानी से दिक़्क़त इसलिए है कि वहाँ हिंदू मुसलमान दोनों हैं और भाजपा को वोट नहीं मिलता।

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