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इस्लामिक स्कॉलर डॉक्टर मुहम्मद हमीद-उ-उल्लाह साहब।
हमीद साहब की विलादत 19 फ़रवरी 1908 को रियासत-ए-हैदराबाद में हुई थी। हमीद साहब ऐसी अज़ीम शख़्सियत थे जिनके बारे में लिख पाना मुमकिन नहीं है। मुहम्मद हमीद-उ-ल्लाह साहब बीस ज़बान बोलना/लिखना जानते थे। इन्होंने फ़्रेंच में क़ुरआन का तर्जुमा के साथ साथ यूरोप की कई ज़बान में दर्जनों किताबें लिखीं थी उसके इलावह इन्होंने सैकड़ों किताबें लिखी हैं। पार्टिशन के वक़्त हमीद-उ-ल्लाह साहब पाकिस्तान चले गए थे। मुहम्मद हमीद-उ-ल्लाह साहब को 1985 में पाकिस्तान के सबसे बड़े हिलाल-ए-इम्तियाज़ ऐज़ाज़ से नवाज़ा गया था। उस वक़्त पाकिस्तान हुकूमत इन्हें तक़रीबन पच्चीस हज़ार डॉलर दी थी। जिसे इन्होंने एक तंज़ीम को डोनेट कर दिया था। मुहम्मद हमीद-उ-ल्लाह साहब की दीनी ख़िदमात के लिए सऊदी अरब की हुकूमत ने 1994 में किंग फ़ैसल अवॉर्ड से नवाज़ने के लिए नॉमिनेट किया था लेकिन मुहम्मद हमीद-उ-ल्लाह साहब ने ये कहते हुए किंग फ़ैसल अवॉर्ड लेने से इंकार कर दिया था- "मैंने जो कुछ लिखा/किया है वो अल्लाह तआला की रज़ा हासिल करने के लिए किया है"
मुहम्मद हमीद-उ-ल्लाह साहब की 2002 में अमेरिका के फ्लोरिडा में 94 साल की उम्र में इंतक़ाल हो गया था।
आज कल मुहम्मद हमीद-उ-ल्लाह साहब की ज़िंदगी पर लिखी किताब पढ़ रहा हूं।

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