2 yıl - çevirmek

जब यह घर लिया था उससे पहले ग्राउंड फ्लोर पर रहते थे। तो सीधे 11th फ्लोर पर आने में अजीब लग रहा था। याद है मुझे जब घर देखने आए थे तो यहाँ लिफ्ट भी नहीं लगी थी। 11 th फ्लोर चढ़कर ऊपर आए थे।
पर जब मैंने यहाँ की सारी बालकनियाँ देखी, मन एकदम खुश हो गया। बिन ज्यादा सोचे मैंने कहा मुझे पसंद है यह घर! बालकनी और चाय मेरा फेवरेट कॉम्बिनेशन है।
पर जैसे जैसे रहते गए तो यहाँ पर कबूतरों के 'आतंक' का पता चला! इस बालकनी में ढेर सारे पौधें हैं जो वो चलने ही नहीं देते। उनके एक एक पत्ते नोच ले जाते, तो कभी उनकी खाद चुग के खा जाते। हर बार जाल डालने की बात हुई, पर मैं मना करती रही। मुझे अपनी तीनों बालकनी एकदम खाली चाहिए थी। पर आखिरकार पौधों को बचाने के लिए हमे एक बालकनी में यह जाल लगाना ही पड़ा। अब यह वाली बालकनी देख के बहुत सी बातें सोच रही हूँ।
जीवन मे कई बार जो हमारी सबसे पसंदीदा चीज़ होती हैं, आपके उस चीज़ को पसन्द करने का कारण हो, या जो हमारे लिए सबसे बड़ी खुशी होती हैं, वह कभी किसी और की खुशी से के लिए यूँही उपेक्षित हो जाती है। तो कभी कुछ और अच्छे में से किसी एक को चुन लेने पर समाप्त हो जाती हैं।
जीवन में सबकुछ न आपकी मर्जी से होना सम्भव हैं और न ही आपकी सुविधा से।
ख़ैर...
वैसे यहाँ पर पहले ढेर सारी चिड़ियाँ थीं, पर वो अब नहीं दिखती, वो शायद सर्वाइव ही नहीं कर पाई, अपने नियम कायदे कानून के चलते।
न वो हर कहीं खुले में अंडे देतीं थीं, न ही कोई भी दाना पानी चुग लेती। जब तक कोई घूमता रहेगा वो वहाँ फटकती नहीं। डर डर कर जीती रहीं और धीरे धीरे अपनी आबादी खत्म सी कर ली।
जबकि कबूतर जिद्दी होते हैं। कितनी बार भी उड़ाओ वो फिर से आएंगे। कुछ भी खा लेंगे। कहीं भी अंडे दे देते। गमलों में भी। कुछ भी कर के उन्होंने खुद को बनाए रखा। और अब न कौए दिखते न चिड़िया और न हो तोते...जितनी तादाद में बस कबूतर दिखते हैं।
'survival of the fittest' ही जीवन का सार है।
बाकी तो...आल इज वेल!

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