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बहादुरी और मूर्खता में
बहुत पतली रेखा है।
न्यूज़ चैनलों और बुध्दिजीवियों
को देखिये तो वह इस पतली रेखा
को मिटाकर मूर्खता को बहादुरी
बता रहे है।
भारतीय इतिहास में अपने
जनमानस के सामूहिक नरंसहार
को बचाने के लिये वीर योद्धाओं
ने समझौते किये,अपना जीवन
तक अर्पित कर दिया।
#वामी_इतिहासकार उसके
महत्व को समझ न पाये।
विश्व इतिहास में सबसे महानतम
योद्धाओं में एक नाम महाराणा
प्रताप का है।
वीरता और बुद्धिमत्ता
के साक्षात देव थे।
उनके सामने जो दुश्मन था वह
उस काल का सबसे शक्तिशाली
शासक था।
रूस,यूक्रेन में जितना अंतर है,
उससे अधिक अंतर था।
25 : 1 का अनुपात था अकबर
और राणा कि सेनाओं में।
अकबर की तोप खानों से सुसज्जित
एक लाख की सेना उनके सामने है।
उनके साथ 15-20 हजार सैनिक है।
उसमें से एक चौथाई कोल भील है।
इसके लिये उन्होंने रणनीति बनाई,
ऐसा स्थान चुना जँहा बहुत बड़ी
संख्या में सैनिक हमला न कर सकें।
उनको घेर कर मारा जा सके।
हल्दीघाटी !
यह वही सकरा स्थान जिसका नाम
भारत का हर व्यक्ति जानता है।
मुगलों के सभी दुर्दांत लड़ाके
हल्दीघाटी में मारे गये।
इस युद्ध में इतने मुगल सैनिक मारे
गये कि अकबर में राणा का भय घर
कर गया।
उसने कभी भी सामने आकर
युद्ध नहीं किया।
राणा प्रताप कभी पराजित नहीं हुये।
वह वीरता,रणनीति के प्रतीक है।
जिसे बहादुरी और मूर्खता में अंतर
समझ न आये उन्हें देवपुरुष राणा
प्रताप को अध्ययन करना चाहिये।

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