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एक युद्ध ऐसा है जो लगभग समान वीर, युद्धप्रवीण लोगों के बीच हो तो इसका अनुमान कोई नहीं लगा सकता कि यह युद्ध कितने समय तक चलेगा और कौन जीतेगा।
लेकिन एक घटना ऐसी घटे कि यह युद्ध एक दिन में खत्म हो सकता है।
जो करना है वह भी यह नहीं है कि दूसरे पक्ष को पराजित करना है। अपने पक्ष के एक योद्धा को बस एक दिन के लिये बचा लेना है।
यह है महाभारत का 14वां दिन।
यदि आज कौरव जयद्रथ को बचा ले तो उनकी विजय निश्चित है। अर्जुन आत्मदाह कर लेंगे उनके अतिरिक्त कोई सामना कर नहीं सकता।
यह जो ग्राफिक्स है....
वह द्रोण की व्यूहरचना है! इसमें दस लाख सैनिक और दस हजार योद्धा हैं। मेरे पुराने नोट्स से मिल गया।
चक्रश्टक — सबसे बाहरी सुरक्षा चक्र था। वह रथ के पहिया जैसा था जिसका व्यास 20 कोस था। रथी और सैनिकों का संयोजन ऐसे किया गया था।
उसके अंदर कमलचक्र था। जो कमल के पत्र जैसा घना था। यहाँ और भी बलशाली सैनिक और अर्धरथी थे। यह 12 कोस में था।
सबसे अंदर सुचिव्यूह था जो दो कोस में फैला था। जिसमें कौरव सेना के प्रमुख योद्धा थे। बीच में जयद्रथ था।
इतना भयानक, विनाशकारी युद्ध इस एक दिन में हुआ कि जो सभी दिनों पर भारी था।
इस दिन भीम की वीरता और बल का परिचय मिलता है। उन्होंने दुर्योधन के 24 भाइयों को मार दिया था।
लेकिन अर्जुन तो फिर अर्जुन ही हैं। वह इस व्युह को तोड़कर अंदर चले गये थे। जब भगवान की माया से जयद्रथ सुचिचक्र से बाहर आ गया, अर्जुन ने मार दिया।
उस काल में युद्धकला कितनी विकसित थी। द्रोणाचार्य किस स्तर के गुरु थे और अर्जुन कितना महान योद्धा है।
65 और 71 के युद्ध में कमलचक्र का प्रयोग हुआ था।
कभी कभी प्रधानमंत्री की सुरक्षा के लिये SPG भी इसका अनुसरण करती है।
मनुष्य के इतिहास में इसे सबसे सर्वोत्तम सुरक्षा चक्र कहा जाता है।।

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