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मुहम्मद बिन तुग़लक़ मध्यकालीन भारत का सबसे पढ़ा लिखा शासक है, वो हाफ़िज़ ए क़ुरान था, दीनी इल्म का जानकार था, अरबी फ़ारसी जानता था, दीनी किताबें पढता था, और उसे इतिहासकारों ने विलेन बना दिया आख़िर क्यों ??
इतनी अच्छाई होने के बावजूद भारतीय इतिहासकारों ने उसे 'सनकी बादशाह' और ' पागल बादशाह' का खिताब दिया आखिर क्यों ?

इसलिए नहीं कि उसने सांकेतिक मुद्रा शुरू की क्योंकि ऐसा करना उसके दूरदर्शी होने को बतलाता है |

इसलिए भी नहीं कि उसने अपनी राजधानी बदल दी क्योंकि बहुत से शासकों ने राजधानी बदली है |

उसे विलेन इसलिए भी नहीं बनाया गया की उसने मध्य एशिया पर चढ़ाई का सपना देखा क्योंकि अशोक तो मध्य एशिया तक भी पहुँच चुका था |

इतिहासकार उसे विलेन सिर्फ इसलिए दिखाते हैं क्योंकि उसने इस्लामी समानता को लागू करने की कोशिश की, छुआछूत और जातिवाद पर प्रहार किया और उसके द्वारा समानता के सिद्धान्त को लागू करने के कारण यहाँ के लोगों ने बड़ी तादाद में इस्लाम क़बूल किया |

इतिहासकारों ने मुहम्मद बिन तुग़लक़ को विलेन के रूप में इसलिए दिखाया है क्योंकि तुग़लक़ ने तेलंगाना के राजा रूद्र देव के एक नौकर जिसने निजामुद्दीन औलिया के हाथ पर इस्लाम क़बूल किया था उसे मुल्तान और बदायूं का गवर्नर बना दिया |

फिर एक गवय्ये को गुजरात, मुल्तान और बदायूं का हाकिम बना दिया |

एक माली को सिंध का वज़ीर बना दिया, एक ग़ुलाम को गुजरात का वज़ीर बना दिया, एक कलाल को मालवा का सरदार बना दिया |

हजाम, नानबाई और जुलाहे को अपना सलाहकार बना लिया और वज़ारत दी |

और उन सभी जातियों के लोगों को ऊँचा ऊँचा ओहदा दिया, उसके इस बर्ताव से प्रभावित होकर बहुत से लोगों ने इस्लाम क़बूल किया |

यही वो वजह है जिस कारण भारत के नस्लवादी इतिहासकार मुहम्मद बिन तुग़लक़ को विलेन बनाकर पेश करते हैं क्योंकि वो एक न्यायप्रिय राजा था |

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