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देख रहे हो बिनोद ! आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है इस बात को हम भारतीय बखूबी समझते है। दुनिया में जुगाड़ प्रबंधन में हम भारतीयों का कोई सानी नहीं।
अब हुआ यूं की पिछले कुछ दिनों से सूर्यदेवता हम धरती वासियों पर कुछ ज्यादा ही आंखे तरेर रहे थे। अप्रैल में ही जून जुलाई की उमस वाली भयंकर गर्मी का एहसास हो रहा था। ब्रांच परिसर आग की भट्टी के समान तप रहा था। ब्रांच मैनेजर, कैशियर, ग्राहकों का बुरा हाल था। ग्राहक मैनेजर को आकर पूछ रहे थे कि साहब ब्रांच में AC क्यों नहीं लगवाते ? इतनी भयंकर गर्मी में घंटो लाइन में खड़े होने में बहुत कष्ट होता है,हम सीनियर सिटीजन है और आपके बैंक के पहले ग्राहकों में से है। बेचारा ब्रांच मैनेजर रोनी सूरत बनाकर बोला: क्या बताए जनाब ? हमारे पावर में होता तो कबके लगवा चुके होते पूरे ब्रांच में AC, परंतु हमको ऊपर बैठे बड़े साहब से अप्रूवल लेना होगा। अगर आप ग्राहक लोग ही हेड ऑफिस में शिकायत दर्ज करे की ब्रांच में AC नही है तब शायद कार्यवाही हो और ब्रांच में नया AC भी लग जाए। हमारी तो ये लोग सुनते ही नही है। ग्राहक देवता भी बोले: ठीक है आज ही मैं जोनल मैनेजर को शिकायत करता हूं कहकर ब्रांच से प्रस्थान कर लिया। अब ब्रांच मैनेजर ने बैंक शाखा के तापमान को थर्मोमीटर पर मापा तो सबके होश उड़ गए। दोपहर के 1:30 बजे तापमान 45°C के करीब दर्शा रहा था।
अब ब्रांच मैनेजर ने इन तस्वीरों को अपने स्थापित बैंक यूनियन के व्हाट्सएप ग्रुप में शेयर किया तो यूनियन के नेता का बेशर्मी से भरा पहला रिस्पॉन्स था : "ये क्या है ? 😀😀😀 मौसम की जानकारी दे रहे है क्या ? तब ये भी बता दीजिए बारिश कब होगी ???" इसपर ब्रांच मैनेजर ने कुपित होकर कहा : "साहब थोड़ी तो रहम खाइए । हम लोग आग की भट्टी में काम कर रहे है। ग्राहक भी परेशान हो रहे। कृपया करके ब्रांचों में AC लगवाने की व्यवस्था करे।"
इस मैसेज के बाद यूनियन के व्हाट्सएप ग्रुप में उथलपुथल शुरू हो गई और दूसरे ब्रांच मैनेजर्स भी अपना मुंह खोलने लगे और अपने शाखा में गर्मी से बदहाली के चलते AC लगवाने की मांग का समर्थन करने लगे। कुछ मैनेजर्स के कमेंट्स यूनियन के नेताजी ने अपनी whatsapp Group ADMIN power की शक्ति दुरपयोग करते हुए freedom of speech के सिद्धांत को कुचलते हुए तुरन्त कॉमेंट्स डिलीट कर दिए।
फिर नेताजी का बयान आया: एक साथ सभी ब्रांचों में AC लगवाना मुमकिन नहीं। AC का वेंडर एक साथ इतने AC नही सप्लाई कर सकता। अगले सीजन तक देखेंगे। इस पर नेताजी के चमचे जो की वातानुकूलित कंट्रोलिंग ऑफिस में इत्मीनान से बैठा है उसने कहा : अरे हमारे नेताजी खुद जिस ब्रांच में पोस्टेड है वहा भी AC नही है। वो भी कष्ट सहते हुए बैंकिंग सेवा दे रहे ये कितने गर्व की बात है।"
बैंक प्रबंधन के बड़े साहब RM जो खुद चौबीसों घंटे AC में रहते है, सुनने में आया है यहां तक कि अपने घर के संडास में भी AC लगवा रखा है उन्होंने, ब्रांच मैनेजर द्वारा ब्रांच में AC लगवाने की मांग पर इतना तमतमा गए और खरी खोटी सुना दी कि जैसे ब्रांच मैनेजर ने उन्हें अपने व्यक्तिगत खर्चे पर ब्रांच में नहीं बल्कि ब्रांच मैनेजर के घर पर AC लगवाने की मांग की हो।
अब ब्रांच मैनेजर समझ चुका था कि यूनियन ग्रुप में नेताजी से और बैंक प्रबंधन से AC लगवाने की मांग करने और भैंस के आगे बीन बजाने में कोई फर्क नही। तब मैनेजर के दिमाग में JUGAADU INDIAN MODE ऑन हो गया और उसने अपने PTS को बाजार से कुछ सामान लाने को कहा। और उस जुगाड़ से जो " DESI COOLER AC" PROTOTYPE बना वो कुछ ऐसा दिखता है। 😜😜😜😜😜
अब सुना है इस अजूबे को देखने बड़े बड़े AC कंपनी के मालिक घबराकर कही उनका AC बिजनेस का धंधा चौपट न हो जाए तो वे अपने इंजीनियर को ब्रांच मैनेजर के शाखा पर भेज रहे है निरीक्षण करने ताकि वे भी बाजार की मांग को देखते हुए ऐसे किफायती यंत्र बनाकर बाजार में कंपटीशन में बने रहे।

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