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कुछ लोगों के निजी स्वार्थ की भेंट चढ़ भारत का विभाजन ये कहते हुए कर दिया गया कि हिंदू मुसलमान एक साथ नहीं रह सकते और देश को दो हिस्सों में बाँट दिया गया।

देश की आजादी के समय बंटवारा के उपरांत जो मुसलमान भारत में रह गए वो आज दुनिया के अन्य देशों की तुलना में सबसे अधिक सुख शांति से जी रहे हैं और जो मजहब के नाम पर पाकिस्तान चले गए, वे आज आटे के लिए लड़कर मर रहे हैं। पाकिस्तान में हिन्दुओं का अस्तित्व तो मिटने के कगार पर पहुंच चुका है।

भारत के विभाजन के समय 9.5 करोड़ मुसलमानों में से 6 करोड़ मुसलमान पाकिस्तान के नागरिक बन गए और 3.5 करोड़ मुसलमान भारत में ही रह गए, जिससे हिंदुस्तान एक गैर-मुस्लिम देशों में सबसे बड़ा मुसलमान अल्पसंख्यक देश बन गया।

आज पाकिस्तान की कुल जनसंख्या 24 करोड़ है, इसमें से 21 करोड़ मुसलमान हैं। उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार भारत में मुसलमानों की कुल संख्या 20 करोड़ है और इनकी गिनती हिंदुस्तान में अल्पसंख्यक में होती है। इसके अलावा करोड़ों रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठियों को भारत पाल रहा है। अल्पसंख्यक दर्जा की वजह से इस देश में 17% आबादी के लिए 33% बजट खर्च किया जा रहा है।

UN चार्टर के अनुसार किसी भी देश की कुल जनसंख्या का मात्र 2% ही अल्पसंख्यक समुदाय कहलाता है फिर भारत में मुस्लिम समुदाय अल्पसंख्यक श्रेणी में है।क्या धरा का कोई कानूनविद या बुद्धिजीवी बता सकता है कि इस संख्या के साथ उन्हें देश में अल्पसंख्यक कैसे कहा जाता है ? 🤔

और तो और लोकतंत्र और संविधान की महिमा गाने वाले देश में बहुमत की इतनी सरकारें चुनी गईं लेकिन देश के हर कोने में मिशनरी और वफ्फ बोर्ड ने लाखों एकड़ भूमि बलात कब्जा कर चर्च और मस्जिदें बना व्यवहारिक व्यवस्थाओं को तहस नहस कर रहीं लेकिन इस देश में इतने वर्षों से वक्फ बोर्ड और चर्चो के इस कुकृत्य के खिलाफ कोई कानून नहीं आया।

अगर "मोदी है तो मुमकिन है" यथार्थ है तो इन मुद्दों पर भी कोई न कोई स्पष्ट और तार्किक समाधान देश को मिलना चाहिए ऐसी मेरी अपेक्षा है।

और तो और सोचिये भारत में (20 करोड़ कागज वाले,5करोड़ बिना कागज वाले), बांग्लादेश (कुल आबादी 15.89 करोड़ है जिसमें में हिंदुओं की जनसंख्या 1.70 करोड़ है), पाकिस्तान (21 करोड़), अफगानिस्तान (4 करोड़) को मिला कर अखण्ड भारत बनाने का मंसूबा पालने वालो के जानिब समझे तो भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानितान के मुसलमानों का जोड़ 64 करोड़ पहुंचता है जो सभी अपने मजहब के लिए किसी हद तक कट्टर हैं। ये अखंड भारत का स्वप्न हिंदुस्तान के चुनिंदा कट्टर हिंदुओं को कहां लाकर छोड़ेगा ??🤔

इसलिए अखंड भारत के सपना देखने वालों ऐसा सपना जरूर देखिए, लेकिन जमीनी सच्चाई को ध्यान में रख कर सोचिए वरना कहने के लिए 90 करोड़ हिंदुओं वाला हिंदुस्तान, अखंड भारत बनने पर किस दशा में होगा इसे इतिहास भी किसी को न बता पाएगा। सरकारें या संस्थान हिंदू राष्ट्र न बनातीं उन्हे जनमानस बनाता है और उसके लिए 90 करोड़ हिंदुओं में विशुद्ध हिंदू चिन्हित कीजिए फिर देखिए आप कहां खड़े हैं।

सनातन धर्म ध्वजा वाहकों बड़ी बड़ी बातों से पेट भरने की आदत छोड़िए और वास्तविकता से नाता जोड़िए। जो है वही बचाइए वरना अस्तित्व मिटने में देर नहीं दिख रही।

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