यदि पृथ्वी पर कोई बड़ा परिवर्तन किसी कारण से आता है तो सबसे पहले आकर में जो जीव बड़े होते हैं। वह खत्म हो जाते है।
पिछले सौ वर्षों में मनुष्य द्वारा जंगल काट दिये गये। घास के मैदान पर शहर बस गये।
80 % जंगली जीव नष्ट हो गये। इस नष्ट होने में प्रमुख कारन बना कि उनके नवजात बच्चे नही बचे।
जो बचे है वह सरंक्षण के द्वारा ही बचे है। वह भी प्रदर्शन के लिये बचाये गये।
लेकिन एक जीव जो आकार में बहुत बड़ा था। वह अपना अस्तित्व बचा ले गया।
वह है हाथी।
इसका एक ही कारण है। हाथियों में पारिवारिक व्यवस्था बहुत प्रगाढ़ है। यहां तक कि हाथियों के बच्चों को उनकी मौसी, चाची पाल देती है।
किसी कारणवश माँ के न रहने पर भी हाथियों के बच्चे मरते नहीं है। हाथी सैदव समूह में रहते है। अमूनन उनका यह परिवार ही होता है। जिसमें माता पिता, चाची मौसी सभी होते है।
आज हमें लगता है कि एकांकी परिवार सुखमय होता है। लेकिन लोग यह समझते नही कि अकेलेपन से बड़ा कोई अभिशाप नहीं है।
आज्ञा देना और आज्ञा का पालन करना, बड़े सौभाग्य कि बात है। इसे बोझ भी समझा जा सकता है। लेकिन यह अस्तित्व के लिये खतरा है।
भगवान जब शांतिदूत बनकर हस्तिनापुर गये तो उन्होंने धृतराष्ट्र से कहा-
हे राजन, आप भरत के वंशज है। आप धर्म, न्याय को समझते है। जो कुटुंब आपका बिखर रहा है। उसको रोकिये, जब कुटुंब ही नहीं होगा तो सारा सुख, वैभव धूल के समान है।।

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