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मंगल भवन.....
यह अत्यंत लोकप्रिय चौपाई है।
इस अद्वितीय चौपाई को अक्सर हम सुन्दर कांड पाठ के साथ, कयी भजन मे, धार्मिक फिल्म के गीत मे सुनते आ रहे है।
पर " मंगल भवन अमंगल हारी द्रवउ सुदसरथ अजिर बिहारी "
यह सुन्दर कांड का हिस्सा नही है
यह पूरी चौपाई भी नही है ।
यह चौपाई मानस के बालकांड के 111 दोहे बाद की दूसरी चौपाई है।
पूरी चौपाई है,
" बंदउं बालरूप सोइ रामू। सब सिधि सुलभ जपत जिसु नामू। ।
मंगल भवन अमंगल हारी।
द्रवउ सो दसरथ अजिर बिहारी। ।इस चौपाई मे श्रीराम की बाललीला का वर्णन है । इस चौपाई का इतना ज्यादा महत्व और लोकप्रियता इसलिए है की,तीनों लोक के गुरू महादेव को माता पार्वतीजी ने रघुनाथजी की कथा सुनाने के लिए विनंती की, क्योंकि माता पार्वती जी के कइ प्रश्न थे।
श्रीराम राजपुत्र है तो बह्म कैसे?
स्त्री विरह क्यों? आदि। 108
यह सुनकर शिव जी के ह्दय मे रामचरितमानस के सारे प्रसंग आ गये वह दो घड़ी के लिए आनंद मे डूब गए।
श्रीराम चरित्र को याद कर शिवजी का शरीर पुलकित हो उठा । परमानन्दस्वरूप शिवजी ने अपार सुख पा कर रघुनाथ जी के चरित्र का वर्णन किया। शिव जी ने
सर्वप्रथम चरित्र के जानने का
फल है ," जगत मिथ्या और प्रभु सत्य " का ज्ञान मिलता है यह कहा,
और बाद मे अत्याधिक भावविभोर
होकर भगवान शिव जी ने यह चौपाई कही, श्रीरामजी का चरित्र मंगल करने वाला और अमंगल को हरने वाला है । शिव जी की यह बात सब को इतनी पसंद आई कि आज भी यह चौपाई श्री रामचरितमानस की पहचान है। जय श्रीराम हर हर महादेव।

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