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पंचमुखी हनुमान की पूजा का महत्त्व..🔆

लंका युद्ध के दौरान अहिरावण अपनी मायावी शक्ति का प्रयोग करते हुए भगवान श्री राम और लक्ष्मण को मूर्छित कर पाताल लोक लेकर पहुंच गया था.

अहिरावण को देवी का वरदान था कि जब तक कोई पाँच दिशाओं में रखे पांचों दीपक को एक साथ नहीं बुझाएगा, तब तक उसका वध असंभव है.

तब हनुमान जी ने पांच दिशाओं में मुख किए पंचमुखी हनुमान का अवतार लिया और पांचों दीपकों को एक साथ बुझाकर अहिरावण का वध किया. तभी से पंचमुखी हनुमान जी के स्वरूप की पूजा होती है.

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